अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥
अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।
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हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
अर्थ- हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो।
राम रसायन check here तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
अस्तुति चालीसा शिविही, सम्पूर्ण कीन कल्याण ॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
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